आज के समय में हिंदी का कोई महत्व नहीं है आज के समय में हिंदी का कोई महत्व नहीं है
माँ घर पर ही अक्षर ज्ञान कराती और कहानियों की किताबें पढ़ाती। मैं ठीक से पढ़ तो नहीं पाती लेकिन सुनक... माँ घर पर ही अक्षर ज्ञान कराती और कहानियों की किताबें पढ़ाती। मैं ठीक से पढ़ तो ...
न ही वह सम्बोधन, जिसे मैं प्रतिदिन सुनता था- नमस्ते जी ! न ही वह सम्बोधन, जिसे मैं प्रतिदिन सुनता था- नमस्ते जी !
‘अतिथि देवो भवः’ दुनिया भर में घूमते-घूमते एक दिन अंग्रेजी हिन्दी के घर में आई। ‘अतिथि देवो भवः’ दुनिया भर में घूमते-घूमते एक दिन अंग्रेजी हिन्दी के घर में आई।
अनुपमा ने कुर्सी से उठ कर आगे बढ़ते हुए कहा, "काश की सब बच्चे आप जैसा सोचते तो शायद आज इन वृद्धाश्रम ... अनुपमा ने कुर्सी से उठ कर आगे बढ़ते हुए कहा, "काश की सब बच्चे आप जैसा सोचते तो शा...
क्या मैं फिर उस धरती को देख पाऊँगी, जो सालों पहले मेरी गोद में खेला करती थी? आज भी में वही बालुका हू... क्या मैं फिर उस धरती को देख पाऊँगी, जो सालों पहले मेरी गोद में खेला करती थी? आज ...